क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 15
मंजू , अंजली और अमित को बाहर आँगन में पड़ी कुर्सी पर बैठाती और कहती करलो तारीफ एक दूसरे की जी भर कर कोई नही जो तुम्हे परेशान करे ।
अंजली मंजू की तरफ घूर कर देखती , मंजू हस कर वहा से चली जाती है।
अमित अंजली को देखता रहता है काफी देर तक ।
आप कुछ बोलेंगे भी या सिर्फ मुझे ही निहारते रहेंगे। अंजली कहती है
दिल कर रहा है तुम्हे आज ही डोली में बैठा कर अपने साथ ले चलू और रात भर तुम्हे ऐसे ही निहारता रहू। तुम इस साड़ी में बिलकुल आसमान से उतरी परी लग रही हो मानो ये साड़ी तुम्हारे लिए ही बनी हो।
अंजली उसकी बाते सुन मुस्कुराती है। तभी अमित अपना हाथ अंजली के हाथ पर रखता है अंजली घबरा जाती है ।
अमित ये क्या कर रहे हो। अंजली ने कहा
कुछ नही बस अपनी मंगेतर का हाथ पकड़ रहा हूँ। अंजली एक बात बताओ , तुम खुश तो हो , इस सगाई और जल्दी शादी से, मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है की मेरी सगाई और शादी मेरी पसंद की लड़की से हो रही है बिलकुल सपना सा लग रहा है । अमित अंजली का हाथ पकड़ कर उसकी आँखों में आँखे डाल कर कहता है ।
अमित, मैं खुश भी हूँ और उदास भी , खुश इस लिए की जिसे मेने पसंद किया आज उससे मेरी सगाई हो गयी और कुछ दिन बाद मैं उसकी दुल्हन बन जाउंगी लेकिन उदास इस लिए हूँ,की पिताजी को छोड़ कर जाना पड़ रहा है पता नही कैसे रहेंगे मेरे बिना, जब तक मुझे देख ना ले उन्हें नींद नही आती है ।
आज भी देखो कितना उदास लग रहे है । अंजली कहती है.
तुम उदास मत हो अंजली शादी के बाद मैं खुद तुम्हे उनसे मिलवाने लाया करूंगा , और वो भी जब चाहे तुमसे मिलने आ सकते है , आखिर वो तुम्हारे पिता है पहला हक़ तुम पर उनका है , बाद मैं मेरा और मेरे घर वालो का।
ये तो माँ बाप का हौसला होता है की वो अपनी औलाद को एक अनजान शख्स को सोप देते है। वरना इस ज़माने में तो कोई अपना बुखार भी ना दे किसी को और पिता अपनी बेटी का कन्यादान कर देता है ।
तुम बिलकुल परेशान मत होना। अमित कहता है
तुम बहुत अच्छे हो मुझे यकीन है तुम जो वादा कर रहे हो वो निभाओगे क्यूंकि तुमने मुझसे किया एक वादा पूरा कर दिया, मुझे अपने घर वालो से मिलाकर मुझसे सगाई और शादी करने का। अंजली अमित की आँखों में आँखे डाल कर कहती है । मुझे डर था कही तुम भी और लड़को जैसे निकले तो क्या होगा क्यूंकि मेने सुना है शहर के लड़के सिर्फ लड़कियों के साथ टाइमपास करके उन्हें छोड़ देते है ।
अमित उसकी ये बात सुन एक गहरी सास लेता और कहता अंजली तुम्हे पता है मुझे तुमसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था जब मेने तुमको मंजू की सगाई में देखा था। तुम्हे देख कर मेरे दिल से आवाज़ आयी की यही है वो जो तेरी ज़िन्दगी को खुशियों से भर देगी। उस दिन से पहले मुझे कभी भी किसी लड़की को देख कर ऐसा महसूस नही हुआ बल्कि में तो बहुत शर्मीला हूँ लड़कियों से बात करने के मामले में।
लेकिन ना जाने क्यू तुम्हारी तरफ मेरा खींचाऊ बढ़ता ही गया शायद प्यार ने दस्तक दे दी थी मेरे दिल पर और फिर जब तुमने मुझे मेरे खत का जवाब भेजा तो मुझे लगा की शायद तुम भी मेरे लिए वही भावनाये रखती हो जो मैं तुम्हारे लिए रखता हूँ।
फिर मेने ठान लिया की अगर मेरे घर और दिल की शहजादी अगर कोई बनेगी तो वो सिर्फ तुम होगी फिर चाहे जमाना आड़े आये या लोग मेरी मोहब्बत के। मुझे किसी से नही डरना ।
मुझे लगता है मेरी इस पाक और सच्ची मोहब्बत में भगवान भी साथ दे रहे है मेरा , तभी तो देखो मेरे माँ और पिताजी को भी तुम पसंद आ गयी और तुम्हारे पिता भी राज़ी हो गए। अब इसे भगवान की मर्ज़ी नही कहेँगे तो फिर क्या कहेँगे ।मुझ पर भरोसा रखो मैं तुमसे सच्ची मोहब्बत करता हूँ, मैं तुमसे वादा करता हूँ चाहे कैसे भी हालात हो मैं तुम्हारा साथ नही छोडूंगा । अमित अंजली का हाथ पकड़ कर उसकी तरफ देख कर कहता है ।
अंजली उसके कहे एक एक लफ्ज़ को बड़ी बारीकी से अपने दिल में उतार रही थी , वो उसकी उन सब वादों पर यकीन करना चाह रही होती है । उसकी आँखे नम हो गयी थी । अमित की प्यार भरी बाते सुन कर । अंजली भी उससे बहुत कुछ कहना चाह रही थी लेकिन अमित की बातो ने जैसे उसके मुँह से लफ्ज़ ही चुरा लिए थे वो कुछ बोल ही नही पा रही थी । उसे अमित की बाते सुनना अच्छी लग रही थी ।
अंजली , अंजली तुम सुन भी रही हो कुछ बोलो तो अमित ने कहा।
अंजली घबराते हुए । हाँ,,, हाँ,,,, में सुन रही हूँ जो कुछ भी तुम कह रहे हो, तुम सिर्फ बोल रहे हो और में तुम्हारे कहे हर एक लफ्ज़ को महसूस कर अपने दिल में उतार रही हूँ। ताकि जब हम बूढ़े हो जाए तब ये बाते याद कर के हम अपना बुढ़ापा गुज़ारे।
क्या बात है अंजली तुम ने तो काफी प्लानिंग कर रखी है मेने तो सिर्फ बच्चों के नाम सोचे थे लेकिन तुम तो बुढ़ापे तक की प्लानिंग कर के रखी हो। अच्छा लगा मुझे सुन कर की मेरी मोहब्बत एक तरफ़ा नही है जो ख्वाब में तुम्हारे साथ ज़िन्दगी गुज़ारने के देख रहा हूँ, वही ख्वाब तुम भी देख रही हो मेरे साथ ज़िन्दगी गुज़ारने के। अमित ने हस्ते हुए कहा .
अंजली शरमा जाती है और अपना हाथ पीछे खींचते हुए कहती है , अब हमें चलना चाहिए काफी देर हो गयी सब लोग इंतज़ार कर रहे होंगे।
कही तुम मुझसे बोर तो नही हो गयी अंजली । अमित ने पूछा वैसे में इतनी बोरिंग बाते करता तो नही हूँ।
अंजली बिना कुछ कहे हसने लगती है ।
हे! भगवान मैं तो भूल ही गया। अमित अंजली की तरफ देख कर अचम्बे से कहता ।
क्या हुआ क्या भूल गए ? अंजली पूछती हे ।
अमित अपनी जेब से कुछ निकालता और अंजली को देते हुए कहता यह भूल बैठा था ।
यह क्या हे ? अंजली ने पूछा
खुद देख लो खोल कर। अमित ने कहा
अंजली , यह तो मोबाइल हे लेकिन किसके लिए हे ये।
ओह मेरी भोली भाली होने वाली पत्नि ये आपके लिए हे अब आपको मुझे खत लिखने की ज़रुरत नही अब आपका जब मन हो मुझे फ़ोन कर लेना और मैसेज भी कर सकती हो अमित कहता हे
म,,,, म,,,,मोबाइल वो भी मे,,,,, मे,,, मेरे लिए । नही अमित मैं ये नही ले सकती इतना महंगा तोहफा। और अगर दादी या पिताजी ने देख लिया तो मेरी शामत आ जाएगी। अंजली ने मोबाइल अमित को वापस देते हुए कहा ।
ओह, अंजली तुम मेरी मंगेतर हो और कुछ दिन बाद धर्मपत्नि बन जाओगी आखिर दादी और काका को क्या दिक्कत हो सकती हे। मैं कोई अब गैर थोड़ी हूँ ना तुम्हारा आशिक जो तुमसे फ़ोन पर बात करके तुम्हे धोखा दूंगा । अमित कहता हे
बात तो सही हे , लेकिन अमित ये गांव हे , शहर नही यहाँ पर तो लड़की को अपनी पसंद का लड़का चुनने का भी हक़ नही होता और ना की रह गया अपने मंगेतर से शादी से पहले मिलना और बाते करना ।और वैसे भी ये कोई अच्छी बात नही हे और ना हमारी संस्कृति भले ही अब लोग शहर में जाकर अपनी मर्यादा, सभीयता और संस्कृति भूल बैठे है लेकिन गांव वाले अभी भी अपनी संस्कृति की हिफाज़त करना जानते है ।
अंजली की ये बाते सुन अमित को उससे और मोहब्बत हो गयी और उसकी नज़रो में उसकी इज़्ज़त और बढ़ गयी ।
मैं ख़ुशक़िस्मत हूँ जो तुम मेरी पत्नि बनने जा रही हो मैं उम्मीद करता हूँ तुम्हारे कदम मेरे घर और मेरी ज़िन्दगी को जन्नत बना देंगे। तुम पढ़ी लिखी होने के बावज़ूद भी अपनी मर्यादा, सभीयता और संस्कृति की हिफाज़त करना खूब जानती हो वरना आज कल तो ये सब किताबों में ही मेहदूद रह गया है असल ज़िन्दगी में तो कोई इन्हे अपनाता ही नही है । अमित कहता है
अमित,पढ़ लिख जाने का मतलब ये नही होता की हम अपनी मान , मर्यादा, तहजीब सब भूल बैठे , पढ़ाई लिखाई का असल मतलब तो ये होता है की हम लोग सही गलत का फैसला कर सके , अपनी बात दूसरों तक पंहुचा सके इस दुनिया में कुछ ना कुछ मक़ाम हासिल कर सके । इंसानियत को फैला सके , जानवर से इंसान बन सके ना की पढ़ लिख कर वही हरकते करे जो जानवर करते है लड़ाई, झगडे , गली गलोच , दूसरों को नीचाँ दिखाना , हमेशा महान बनने की कोशिश करना , घमंड करना अपनी पढ़ाई का, छोटो को डांटना और बड़ो का आदर ना करना , कुछ ओढ़ने और पहनने की तमीज खो देना, कब और कहा क्या और कितना बोलना है । यही सब चीज़ो से बचना सिखाती है पढ़ाई और यही असली पढ़ाई होती है । वरना गधे के ऊपर कितनी ही किताबें लाध दो ज़िन्दगी की समझ उसे फिर भी नही आती है ।
अंजली की बाते सुन अमित को हसीं आने लगती है उसे लग रहा था जैसे कोई टीचर कॉलेज में लेक्चर दे रही हो।
जैसा तुमको ठीक लगे , ये तुम्हारी अमानत है मेरे पास जो में तुमको सोप रहा हूँ, दिल करे तो मुझे कॉल कर लेना और चाहो तो काका से पूछ कर मुझसे बात करलेना मैं तुम्हारा होने वाला पति हूँ कोई गैर नही। अमित कहता है
अंजली ना चाहते हुए भी उस फ़ोन को ले लेती है । मैं पहले पिताजी से अनुमति लूंगी उसके बाद ही तुमसे बात करूंगी । मेने अभी तक खत वाली बात भी पिताजी से छुपाई हुयी है ।
अंदर से आवाज़ आती है , क्या बाहर रहने का ही इरादा है आप दोनों का अगर बाते मुकम्मल हो गयी हो तो अंदर आ जाईये पंडित जी शादी की तारीख़ बता रहे है । अमित के पिता ने कहा
ये सुन अंजली शरमा कर अंदर रसोई में चली जाती है और अमित अंदर ।
मंजू अंजली के पास आती और अपना कन्धा उसकी कमर पर प्यार से मारते हुए कहती । कह दी दिल की बात, अब तो मन में लड्डू फूटने लगे शादी की तारीख़ जो रखी जा रही है ।
अंजली मुस्कुराने लगती है ।
देखु जरा ये मुस्कुराता चेहरा , क्या ये वही अंजली है? जो कहती थी मुझे नही जाना ससुराल और शादी तो बिलकुल ही नही करनी और अब देखो कैसे लड्डू फूट रहे है मन में। और चेहरा भी ख़ुशी से खिल रहा है। मंजू कहती है
मंजू की बच्ची , अमित जी और उनके माता पिता यहाँ नही होते तो मैं बताती तुझे। नही पूरे गांव में तुझे दोड़ाया होता तो मेरा नाम भी अंजली नही।
ओह हो, अमित जी अभी से जी लगा दिया उनके आगे। मंजू उसे परेशान करते हुए कहती है ।
अच्छा चल छोड़ ये बता क्या बाते हुयी तुम दोनों के बीच इतनी देर तक। मंजू पूछती है
अंजली शरमाते हुए , कुछ ज्यादा नही बस हाल चाल पूछा और कुछ नही
झूठी मक्कार पिछले आधे घंटे से तुम दोनों सिर्फ एक दूसरे का हाल चाल पूछ रहे थे मुझे बेवक़ूफ़ समझा है क्या?।पढ़ाई में अव्वल नही हूँ तेरी तरह लेकिन प्यार मोहब्बत की बातो में PH. D की है तेरी दोस्त ने।
बता हाथ पकड़ा था अमित ने तेरा। फिर तूने क्या किया? मंजू ने उत्सुकता से पूछा
मंजू की बच्ची तू यहाँ ये जानने आयी थी क्या? कि उसने मेरा हाथ पकड़ा या नही अंजली मंजू से कहती
इसका मतलब पकड़ा , उसने तेरा हाथ पकड़ा कही तूने मना तो नही करदिया उसे अपना हाथ पकड़ने से पगली वो मंगेतर है तेरा। मंजू कहती है
मंगेतर ही तो है अभी पति तो नही बना , जब पति बन जाएगा तो में खुद अपने आप को उसे सोप दूँगी। लेकिन मैं तेरी तरह बेशर्म नही जो शादी वाले दिन अपने होने वाले पति से मिलने पहुंच गयी ये जानते हुए भी कि शाम को तेरे उसके साथ फेरे होने है ।अंजली ने हस्ते हुए कहा
हाँ मैं तो थी बेशर्म मुझे तो अच्छा लगता था जब जब राकेश मेरा हाथ पकड़ कर प्यार भरी बाते करता था और मुझसे वादे करता था ज़िन्दगी भर साथ निभाने के। मंजू कहती है ।
चल अच्छा मत बता क्या हुआ तुम दोनों के बीच ? मुझे भी नही जानना तुम दोनों की बाते। मैं तो बस मज़ाक कर रही थी । देखते है कब की तारीख़ देते है पंडित जी चल सुनते है पास जाकर । मंजू कहती और उसका हाथ पकड़ कर कमरे की तरफ लाती
मंजू की बच्ची हाथ छोड़ मेरा, किसी ने देख लिया तो क्या कहेँगे कि बड़ी उठावली लड़की है अपनी शादी की बाते और तारीख़ अपने कानो से सुन रही है ।अंजली कहती है
कुछ नही होता जिसकी शादी है उसे भी तो पूरा हक़ है की वो भी जान सके की कब उसकी बारात आ रही है और कब वो डोली में बैठ कर अपने राजकुमार के साथ विदा हो जाएगी। मंजू कहती और वो दोनों खिड़की से अंदर की बाते सुनती है
हाँ तो पंडित जी क्या कहते है नक्षत्र कब का निकल रहा है मुहूर्त शादी का। अमित के पिता ने पूछा
पंडित जी ने गहरी सी सास ली और बोले मेने नक्शात्रों की चाल देख ली है जो की सही दिशा में है राहू भी दूर दूर तक कही नज़र नही आ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है मानो भगवान स्वयं इन दोनों का विवाह कराना चाहते है ।
ये सुन सब अमित की तरफ देखते है और अमित शरमा कर नज़रे नीची करलेता है । ओह हो, भगवान ने स्वयं जोड़ी बनायीं है मंजू ने अंजली को चिढ़ाते हुए कहा ।
चल यहाँ से रसोई में चलते है । अंजली ने मंजू से कहा
रुक जा जरा , हम भी तो देखे और किस किस तरह से भगवान चाहते है की तुम्हारी शादी हो जाए। मंजू ने कहा।
ये तो बहुत अच्छी बात है पंडित जी, अमित की माँ ने कहा। बस अब तारीख़ और बता दीजिये जिससे तैयारी करने में आसानी हो जाए।
रुक जाइए बहन जी थोड़ा सब्र रखिये शिव जी की किर्पा से अच्छी तारीख़ दूंगा आपको । पंडित जी कहते है
थोड़ी देर बाद पंडित जी, मिल गया बहुत अच्छा मुहूर्त मिल गया इस मुहूर्त में की गयी शादी के जोड़े साथ जन्मो तक बन जाते है यदि कोई अडचन ना आये तब ।
ये मुहूर्त निकला है अगले महीने की पंद्रह तारीख़ का उस दिन पूर्णिमा है उस दिन चन्द्रमा की चांदनी पूरे आसमान पर फैली होगी और ज़मीन पर उसकी रौशनी छन छन कर गिर रही होगी और उसी चांदनी में ये दोनों शादी के बंधन में बंध जाएंगे वो चांदनी सिर्फ चांदनी नही बल्कि शिव पार्वती का आशीर्वाद स्वरूप होगा जो इस जोड़े पर गिरेगा।
इतनी जल्दी, अंजली के पिता ने कहा ।
क्या हुआ भाईसाहब कोई परेशानी है । अमित के पिता ने उनके कांधे पर हाथ रखते हुए कहा ।
नही,नही भाईसाहब परेशानी तो कुछ नही बस एक दम से बिटिया की शादी का दिन सुन कर चॉक गया ।दुर्जन कहता है ।
आप परेशान ना हो अंजली हमारी भी बेटी होगी ना की बहु। और अगर आप दहेज़ को लेकर चिंतित है तो उसकी फ़िक्र छोड़ दीजिये क्यूंकि हमारा बेटा बिकाऊ नही है । हमें बस आप की बेटी चाहिए और कुछ नही हमारे लिए बच्चों की ख़ुशी से बढकर और कुछ नही। जब बच्चे खुश होते है तब माँ बाप अपने आप खुश हो जाते है । अमित के माता पिता ने कहा
उनकी बाते सुन दुर्जन की आँखों में आंसू आने लगते लेकिन वो उन्हें अपने अंदर ही पी जाता और अमित के पिता को गले लगा कर कहता, मेरी भगवान से यही प्राथना है की दुनिया में जितनी भी बेटियां है उन सब को आप जैसे सास ससुर मिले ताकि कोई भी लड़की अपने माँ बाप पर बोझ ना रहे और पिता भी उसके दहेज़ के खातिर अपनी जमा पूँजी दांव पर लगा कर बेटी को डोली में बैठा कर विदा ना करे। बल्कि हस्ते मुस्कुराते सारी चिंताओं से मुक्त हो कर उसे नए जीवन जीने के लिए अपने घर से रुक्सत करे ।
बाहर खड़ी अंजली भी अपने पिता की बाते सुन उदास हो जाती और भाग कर रसोई में चली जाती है तब मंजू उसके पीछे पीछे जाती।
अंजली आँखों में आंसू लिए रसोई घर में आ जाती है । मंजू उसके पीछे पीछे आती और कहती क्या हुआ अंजली ?
कुछ नही मंजू बस पिता जी को छोड़ कर जाने की बात सुन कर उदास हो गयी हूँ। अंजली कहती है
परेशान मत हो, सब ठीक हो जाएगा शादी के बंधन में बड़ी शक्ति होती है देखना तू कितनी जल्दी उन सब लोगो में घुल मिल जाएगी और तुझे काका की याद भी नहीं आएगी । वो घर , उसमे रखी हर चीज़ से तुझे मोहब्बत हो जाएगी देखना कुछ ही दिनों में। मेरी भी यही हालत थी शादी से पहले लेकिन अब देख मैं कितनी खुश हूँ। मंजू उसके आंसू पोंछते हुए कहती है ।
वही दूसरी तरफ दुर्जन बेटी की शादी की तारीख़ सुन कर उदास हो जाता और डरते हुए पंडित जी से पूछता , क्या कोई और मुहूर्त नहीं है आगे का।
पंडित जी थोड़ी देर रूककर कहते । श्रीमान अगला मुहूर्त तीन महीने बाद है और उसके बाद कोई अच्छा मुहूर्त शादी के लिए नहीं मिल रहा।
मेरी माने तो बिटिया के लिए यही मुहूर्त सबसे अच्छा है बाकी आपकी मर्ज़ी। पंडित जी कहते है ।
समधी जी हम समझ सकते है आपकी पीड़ा। क्यूंकि एक लड़की का पिता होना आसान नहीं हमे तो भगवान ने कोई बेटी नही दी लेकिन फिर भी हम समझ सकते है की एक बाप पर क्या गुज़रती है अपनी बेटी का कन्यादान करते समय । अमित के पिता ने कहा ।
जैसा आप सब को ठीक लगे कन्यादान तो करना ही है तीन महीने बाद करो या फिर एक महीने बाद, रीत तो निभाना ही है । मेरी तरफ से इज़ाज़त है आप उसी मुहूर्त पर बारात लेकर आ सकते है मुझे कोई आपत्ति नही है । दुर्जन कहता है
सब लोग मिठाई खाते है ।
आज अगर अंजली की माँ जिन्दा होती तो बहुत खुश होती उसे बहुत अरमान था अपनी बेटी को दुल्हन बनता देखने का। दुर्जन ने दर्द भरी आवाज़ में कहा ।
जो भगवान की मर्ज़ी। पास बैठी दादी ने कहा
अब हम लोगो को चलना चाहिए बहुत देर हो गयी है । अब सीधा बारात लेकर आएंगे हम लोग। अमित के पिता ने कहा ।
अमित की निगाहेँ आख़री बार अंजली को देखना चाह रही थी । अंजली बेटा अंदर आ जाओ देखो तुम्हारे ससुराल वाले जा रहे है इनका आशीर्वाद लेलो।दुर्जन ने कहा।
अंजली मंजू के साथ रसोई से निकल कर कमरे में आती है , अमित उसे देख मुस्कुराता है । जीती रहो बेटा अमित के माता पिता ने आशीर्वाद देते हुए कहा ।
और वो उनसे इज़ाज़त लेकर वहा से चले जाते है। मंजू भी अंजली से विदा लेती और कहती सब ठीक हो जाएगा ज्यादा रोना नही खुश रहना ।
अंजली अमित को देखती रही जब तक वो दूर नही चला गया ।
उसके बाद अंजली रसोई में जाकर गंदे बर्तन धोती और उसके बाद वो अपने कमरे में कपडे बदल कर लेट जाती और अमित की अंगूठी को बार बार देखती और मुस्कुराती।
वही दूसरी तरफ दुर्जन जो की काफी उदास था और बिस्तर पर लेटा कुछ सोच रहा था । उसे अपनी बेटी अंजली में अपनी पत्नि शकुंतला की छवि दिखाई देती थी , शायद यही वजह थी की वो शकुंतला की जुदाई बर्दाश कर सका ।
लेकिन अब उसकी छवि भी उससे दूर जा रही होती है । यही बात उसे अंदर ही अंदर खाये जा रही थी । जिन हाथो ने अंजली को चलना सिखाया अब उनी हाथो से उसके कन्यादान करने का समय आ चला था। ये सब सोच उसकी आँखों से अश्रु की धारा निकल रही थी । उस सुनसान रात में जब सिर्फ चारो और सन्नाटा और गीदड़ो और भेडियो की आवाज़े आ रही थी जब उसके घर वाले भी सौ चुके थे । लेकिन दुर्जन रात भर करवटे बदलता रहा और आँखों से अश्रु की धारा निकालता रहा । और ना जाने कब उसकी आँख लगी और वो सौ गया ।
अगली सुबह उसकी आँख खिड़की से आ रही सूरज की किरण से खुली जो उसके मुँह पर गिर रही थी ।
हे! भगवान आज तो बहुत देर तक सौ लिया दुर्जन ने चादर उतार कर दूर फेकते हुए कहा ।
उठ गया बेटा, उसकी माँ ने कमरे में आते हुए कहा
राम राम अम्मा, अम्मा तू ने उठाया क्यू नही मुझे इतनी देर तक सोता रहा मैं। दुर्जन ने पास खड़ी अपनी माँ से कहा।
बेटा मैं आयी थी तुझे देखने लेकिन तू काफी गहरी नींद सौ रहा था शायद कल की थकान होगी। इसलिए मेने सोचा तुझे सोने देती हूँ आराम मिल जाएगा बाद में तू खुद उठ जाएगा। दुर्जन की माँ ने कहा ।
ओह माँ! शादी सिर पर खड़ी हे और तू कह रही हे की मैं आराम करू । अच्छा अंजली उठ गयी अगर नही उठी हे तो सोने देना उसे। दुर्जन ने कहा
पिताजी मैं रसोई में हूँ, आप नहा लीजिये में जब तक आपके लिए नाश्ता तैयार करती हूँ। अंजली रसोई घर से कहती हे
ओह मेरी बच्ची ! देखो माँ आज अंजली मुझसे भी पहले रसोई में चली गयी समझदार हो गयी मेरी बच्ची । दुर्जन कहता है
वो पहले रसोई में नही गयी है बल्कि आज तू देर तक सोता रहा , वो महारानी तो आज भी अपने समय पर ही उठी है । तुझे तो बस मौका चाहिए अपनी बेटी की तारीफ करने का। दादी कहती है ।
छोड़ भी अम्मा मैं स्नान करने जा रहा हूँ फिर आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है ये कहता हुआ दुर्जन नहाने चला जाता है ।
हे राम जी! ये घुटने का दर्द तो मुझे मृत्यु शय्या पर लेटा कर ही दम लेगा। अब उठा नही जा रहा हे पहले बैठा नही जा रहा था ।दादी कराहते हुए कहती हे
कोई बात नही अम्मा मुझे अपना हाथ दो और उठने की कोशिश करो । ऐ शाबाश! देखो तुम खड़ी हो गयी अम्मा। दुर्जन अपनी माँ का हाथ पकड़ कर कहता हे
बेटा मुझे तो तूने खड़ा कर दिया, कभी अपने बारे में सोचा हे की जब तू बूढा हो जाएगा तब तुझे कौन सहारा देगा। इसी दिन के लिए कहती थी की दूसरी शादी करले शायद तेरा भी कोई बुढ़ापे का सहारा हो जाए मुझे भी पोते का मुँह देखना नसीब हो जाता। अब भी समय हे अंजली को विदा करके तू शादी करले शायद भगवान इस उम्र में तुझे एक बेटा और मुझे एक पोता देदे। अंजली तो पराया धन हे एक महीने बाद वो अपने घर की हो जाएगी फिर तू रह जाएगा अकेला। दादी अपने बेटे दुर्जन को समझाते हुए कहती
क्या अम्मा? केसी अजीब सी बात कर रही हो जब उम्र थी मेरी तब तो दूसरी शादी करी नही मेने और अब इस उम्र में जब अपने नाती और नाते को अपनी गोदी में खिलाऊंगा तब मैं शादी कर लू । केसी बाते करती हे अम्मा तू । अंजली के ससुराल वाले क्या सोचेंगे की बेटी की शादी करते ही बाप अपनी पत्नि ले आया । नही अम्मा मैं ऐसा ही ठीक हूँ और अंजली क्या वो ये नही सोचेगी की मेने अपनी जवानी शायद उस के लिए बेकार करदी और उसके विदा होते ही मैं उसकी सौतेली माँ ले आया । क्या मैं उससे नज़रे मिला पाउँगा और क्या वो मेरी आँखों में आँखे डाल कर बात कर सकेगी । नही अम्मा नही। मैं इतना बदनामी भरा काम नही कर सकता । दुर्जन ने कहा
जैसी तेरी मर्ज़ी बुढ़ापा तुझे जीना हे अपना, मेरा तो बुलावा कभी भी यमराज लेकर आ सकते है , दादी ने गुस्से से कहा और चली गयी ।
लगता है नाराज़ हो गयी अम्मा मुझसे, मैं मना लूँगा उनको दुर्जन ने नहाने जाते हुए कहा ।
नहा धोकर दुर्जन बाहर आता और नाश्ता करता है । अंजली भी रसोई का काम ख़त्म करके अपने कमरे में चली जाती है ।
अम्मा मैं कह रहा था की तुम उस दिन कुछ जेवरो की बात कर रही थी इस लिए मैं सोच रहा हूँ की आज सुनार को दिखा दू और अंजली के लिए एक सोने का हार बनवा दू । और उसकी सास के लिए भी कुछ छोटा सा। दुर्जन चाय पीते हुए कहता है ।
अच्छा बेटा मैं ला देती हूँ, और बाकी दहेज़ का क्या करेगा देगा या नही अम्मा ने पूछा ।
अम्मा अंजली मेरी एकलौती बेटी है वैसे तो दहेज़ लेने से मना कर दिया है अमित के घर वालो ने, लेकिन फिर भी अम्मा खाली हाथ तो नही भेज सकता अपनी बेटी को उनके घर । माना ससुराल वाले अभी नही कह रहे है दहेज़ ना लेने को और शादी के बाद उन्होंने लोगो के बहकावे में आकर मेरी बेटी को दहेज़ के ताने देना शुरू कर दिए तब मेरी बेटी क्या करेगी वो तो यही समझेगी की उसके पिता ने दहेज़ नही दिया इसलिए आज उसे ताने मिल रहे है । सुनती नही हो अम्मा आये दिन कोई ना कोई बहु बेटी जलाकर मार दी जाती है दहेज़ के खातिर मैं नही चाहता की मेरी बेटी भी दहेज़ की वजह से रोज़ अपमानित हो ससुराल वालो के सामने और एक दिन भगवान ना करे की वो अस्पताल में जली हुयी हालत में मिले मुझको जहाँ वो अपनी आखिरी सांसे गिन रही हो। मेरे पास जो कुछ भी है उसे बेच कर अपनी बेटी के लिए दुनिया जहाँ की खुशियाँ खरीद लूँगा ।
अरे बेटा तू तो भावुक हो गया , माँ बाप तो हमेशा ही अपनी बेटी की खुशियाँ ही चाहते है लेकिन ये बेटी का भाग्य ही होता है जिसे चाह कर भी माँ बाप बदल नही सकते । शायद माँ बाप की दुआए बेटियों के नसीब में नही होती है वरना कौन सी माँ चाहेगी की उसकी बेटी ससुराल में दुखी रहे ये तो सब भाग्य का खेल है।
रुक मैं अंदर से जेवर लाकर देती हूँ। दादी ने कहा ।
थोड़ी देर बाद, ये ले एक हार है और चार कंगन इनको तुड़वा कर अंजली के लिए कुछ बनवा दे। मेने ये सब कुछ तेरे बेटे की बहु को देने के लिए रखा था लेकिन अब ये अंजली के काम आ जाएगा। पोतबहु का अरमान मेरे दिल में ही रह गया ।
अच्छा ये सब छोड़ ये बता बाकी पेसो का बंदोबस्त कैसे करेगा दादी ने पूछा ।
अम्मा अंजली को पता नही चलना चाहिए क्यूंकि मैं अपनी सारी ज़मीन गिरवी रख दूंगा। दुर्जन कहता है
सारी ज़मीन , दादी ने चौक कर पूछा ।
हलके बोलो अम्मा कही अंजली ना सुन ले। दुर्जन कहता है ।
बेटा अगर सारी ज़मीन गिरवी रख देगा तो फिर तू क्या करेगा । ये घर कैसे चलेगा । अम्मा ने पूछा
अम्मा अंजली के जाने के बाद तू और मैं ही तो बचेंगे इस घर में और हम दोनों का इतना खर्चा थोड़ी है , मैं दूसरों के खेतो पर दिहाड़ी कर लूँगा और थोड़ा थोड़ा कर्ज़ा उतार कर अपनी ज़मीन वापस ले लूँगा । दुर्जन कहता है
हाय! दुर्जन हाय! अब तू अपना खेत गिरवी रख कर दूसरों के खेत में मजदूरी करेगा ताकि अपनी बेटी की शादी धूम धाम से कर सके । बस इसी लिए बेटी को बोझ कहती हूँ में, पहले उसे खिलाऊ पीलाऊ और पढ़ाई भी करवाओ और आखिर में उसे अपने घर का करने के लिए सारी अपनी जमा पूँजी उस पर क़ुर्बान करदो ताकि वो अपने ससुराल में खुश रहे चाहे मायके वाले उसे खुश रखते रखते दुखो के पहाड़ के नीचे धस जाए। उस पर भी दामाद के नखरे उठाओ और झुक कर रहो कही कुछ गुस्ताखी ना हो जाए । अम्मा कहती गुस्से में
अम्मा केसी बाते करती है तू , तू भी तो एक औरत है अपने ही अस्तित्व को गाली दे रही है और हाँ मेरी बेटी मुझ पर बोझ नही है मैं तो ख़ुशक़िस्मत हूँ जिसे बेटी का कन्यादान करने का सोभाग्ये प्राप्त होगा अब उसमे मेरी ज़मीन चली जाए चाहे घर अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए मुझे सब मंजूर है ।दुर्जन कहता है ।
तो किसके पास गिरवी रखेगा अपनी ज़मीन साहूकार से तो तूने झगड़ा मोल ले लिया है उसके वंश को जैल भेज कर कौन देगा तुझे पैसे ज़मीन के बदले आखिर कौन है इतना अमीर इस गांव में, साहूकार के अलावा। अम्मा ने पूछा
अम्मा उसे जैल नही भेजता तो क्या करता ? खुले सांड की तरह फिरने देता ताकि वो कल को किसी और की बहु बेटी को उठा कर अपने फार्म होउस पर ले जाकर उसके साथ छी,,, छी ,,,, मुझे तो कहते हुए भी घिन आ रही है ।
और तू कह रही है की उसे जैल क्यू भेजा ? कोई ना कोई मिल ही जाएगा जो मेरी ज़मीन के बदले मुझे रकम देदे। दुर्जन ने कहा
दे ही ना दे कोई तुझे पैसे इस पूरे गांव में तेरी उस ज़मीन के बदले , लोगो के पास खाने को नही है वो तुझे उस ज़मीन के बदले पैसे देंगे। अच्छी कोशिश है कर के देख ले और कामयाब ना हो तो साहूकार के पैर पकड़ कर माफ़ी मांग लेना आखिर तू एक बेटी का बाप है तेरे उपर अकड़ शोभा नही देती है वरना तेरी बेटी घर में ही बैठी रह जाएगी अगर पेसो का बंदोबस्त नही हुआ तो। उसकी माँ कहती और बाहर चली जाती है ।
दुर्जन हाथ में जेवर की पोटली लिए कमरे से बाहर निकल जाता है और सुनार की दुकान की तरफ अपने कदम बढ़ाता है ।
Shnaya
07-Apr-2022 12:20 PM
, very nice👌
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Anam ansari
01-Apr-2022 05:17 PM
Nice
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Gunjan Kamal
01-Apr-2022 12:20 AM
Nice part 👌
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